Yogini Ekadashi Vrat Katha | योगिनी एकादशी 2022 | योगिनी एकादशी व्रत कथा | योगिनी एकादशी कथा
Yogini Ekadashi Vrat Katha: हरे कृष्ण दोस्तों आपको तो पता ही है की जून महीने की दूसरी एकादशी यानी योगिनी एकादशी आने वाली है. अगर आप या आपके घर में कोई भी इस एकादशी का व्रत कर रहा है तो यह आर्टिकल जरूर पढ़े क्यूंकि इस आर्टिकल में हम योगिनी एकादशी व्रत कथा एवं योगिनी एकादशी व्रत पारण समय आदि के बारे में जानेंगे.
आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष में आने वाली इस एकादशी का नाम योगिनी एकादशी है और जो कोई भी मनुष्य एकादशी व्रत का पालन पूरी निष्ठा से करता है वह मनुष्य जन्म जन्मांतर के पापो से मुक्त हो जाता है और अंत समय में भगवान् श्री कृष्णा जी के धाम को जाता है इसलिए आपको भी हर एकादशी के व्रत का पालन करना चाहिए.
Yogini Ekadashi Vrat Katha | योगिनी एकादशी 2022
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार की बात है – युधिष्ठिर महाराज श्री कृष्ण जी से कहते है: हे मधुसूदन कृपा करके मुझे आषाढ़ मास में कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम एवम एकादशी की महिमा विश्तार से कहिये, यह सुनकर भगवान् श्री कृष्ण कहते है की हे राजाओ में श्रेष्ठ आषाढ़ कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम योगिनी एकादशी है.
इस एकादशी व्रत के पालन से मनुष्य बड़े से बड़े पापो से मुक्त हो जाता है और इस भवसागर से पार हो जाता है और फिर कभी उसे इस दुखद संसार में नहीं लौटना पढता, एवम यह योगिनी एकादशी तीनो लोक में प्रशिद है. यह कहकर श्री कृष्णा बोले अब में तुम्हे इस एकादशी की महिमा बताता हु कृपया ध्यान से सुने.
स्वर्ग में एक अलकापुरी नाम की नगरी थी वहा के राजा कुबेर थे और कुबेर जी शिव जी के बड़े भक्त थे, कुबेर जी ने हेम नाम के अपने सेवक को माली का कार्य दिया था. हेम का काम यह था की मानसरोवर से सुन्दर पुष्प लाकर कुबेर जी को देना है और इन पुष्पों को कुबेर जी शिव जी को अर्पित करते थे. हेम यक्ष की एक सुन्दर पत्नी थी और हेम अपनी पत्नी के प्रति बहुत आशक्त था.
हेम अपनी सेवा में अत्यंत सलघन था लकिन एक दिन मानसरोवर से पुष्प एकत्रित करने के बाद अपनी पत्नी के साथ हास्य विनोद में लग गया और वहा राजा कुबेर उसकी राह देख रहे थे कुबेर जी पूजा करते हुए देखे की पुष्प तो है ही नहीं यह देख कर कुबेर जी बहुत जायदा क्रोधित हो गए और अपने अन्य सेवको के पास गए और हेम माली का अता पता पूछने का आदेश दिया.
सेवको ने कुबेर जी को बतया की हेम तो कामी है, हेम अपनी पत्नी के साथ रमन कर रहा होगा यह सुनकर कुबेर ने क्रोधित होकर हेम माली को उनके समक्ष आने का आदेश दिया. हेम राजा कुबेर के भय से कापता हुआ उनके पास आया तब राजा कुबेर ने उसे कहा की तुमने मेरे परम आराध्य शिव जी का अनादर किया है और यह कहकर कुबेर जी ने हेम माली को श्राप दिया की तुम स्त्री वियोग और सहेगा और मृत्यु लोक जाकर रोग से पीड़ित होगा.
कुबेर को के इस श्राप से हेम माली का स्वर्ग से पतन हो जाता है और उसी समय हेम पृथ्वी पर गिर गया जैसे ही हेम ने अपनी आँखे खोली तो उसने देखा की उसके पूरे शरीर पर कोढ़ है और उसे बहुत जायदा पीड़ा हो रही थी और भूख प्यास से अस्त व्यस्त हो कर जंगल में भटक रहा था और सोच रहा था की एक भूल के कारण कितना कष्ट भोगना पढ़ रहा है.
एक दिन हेम जगल में भर्मण करता हुआ मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम पहुंचा और उन्हें देखते ही ऋषि को प्रणाम किया. तब मार्कण्डेय ऋषि अपने पास बुलाकर कहे की तुम किस वजह से इतने दुखी हो तब हेम ने सारा वृतांत ऋषि से कहा, तब ऋषि ने हेम के उद्धार के लिए उसे आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की योगिनी एकादशी व्रत पालन करने की सलाह दी.
हेम मार्कण्डेय ऋषि की यह बात सुनकर सोच लिया की मै इस योगिनी एकादशी का व्रत जरूर रखूंगा. फिर हेम माली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी का पालन किया. इस एकादशी के प्रभाव से हेम को अपना स्वर्ग का शरीर वापस प्राप्त हुआ और उसके बाद वह अपने लोक अलकापुरी में लौट गया और अपनी पत्नी के साथ बहुत ही खुशीपूर्वक रहने लगा.
अब श्री कृष्ण कहते है की यह योगिनी एकादशी का व्रत 28 हज़ार ब्राह्मणो को भोजन कराने के बराबर फल देता है और मनुष्य सभी पापो से मुक्त होकर पुण्यवान बनता है. एकादशी बहुत ही पावन तिथि है और सभी वेध और शास्त्र भी यही कहते है की भगवत्भक्ति में प्रगति के लिए हर एकादशी व्रत का पालन करना बहुत जरुरी है.
तो आप भी हर एकादशी का व्रत बिना किसी भौतिक इच्छा के पालन करे और जायदा से जायदा हरे कृष्णा महा मंत्र (हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे) का जाप करे और भक्तो का संग जरूर करे.
योगिनी एकादशी व्रत पारण करने का समय
एकदशी व्रत पारण करने का समय अलग अलग लोकेशन पर निर्भर करता है तो आप अपने नजदीकी ISKCON temple जाकर पारण करने का समय पता लगा सकते है और अगर आपके नजदीक कोई ISKCON Temple नहीं है तो आप Vaishnav Calendar App के द्वारा पारण करने का समय पता लगा सकते है.
आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम क्या है?
आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम योगिनी एकादशी है.
योगिनी एकादशी कब है?
योगिनी एकादशी 24 जून 2022 को है.
धन्यवाद!
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Team: HindiGrab.in