Karva Chauth Vrat Katha | करवा चौथ व्रत पूजा, कथा के बारे में जानने के लिए यह आर्टिकल अंत तक पढ़ते रहे. जैसे की आपको पता है इस साल 24 अक्टूबर 2021 को करवा चौथ मनाई जायेगी. करवा चौथ हर साल कार्तिक महीने में कृष्णपक्ष चतुर्थी को करवा चौथ को व्रत रखा जाता है.
इस बार करवा चौथ के व्रत को पांच वर्षो के बाद पुन: शुभ योग मिल रहा है क्यूंकि यह करवा चौथ का व्रत की पूजा रोहिणी नक्षत्र में होगी. इस दिन सभी औरते अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ के व्रत को विधिवत रूप में करती है. यह व्रत निर्जला होता है क्यूंकि इस व्रत के दौरान औरते पानी और अन्न ग्रहण नही करती. अगर आप भी करवा चौथ कर रहे है तो इस आर्टिकल में बताई गयी करवा चौथ व्रत पूजा और कथा को पढ़कर व्रत पूर्ण कर सकते है.
तो चलिए शुरू करते है और जानते है Karva Chauth Vrat Katha, Pooja Vidhi
Karva Chauth Vrat Katha – करवा चौथ व्रत पूजा विधि, कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक साहूकार के सात पुत्र तथा इकलोती पुत्री थे. इन सब की शादी हो गयी थी कुछ दिनों बाद करवा चौथ का आया तब साहूकार के पुत्रो की वधु और इकलोती बेटी ने व्रत रखा. रात्री के दौरान जन सभी भाई भोजन कर रहे थे तब उन्होंने अपनी बहन से कहा की तुम भी भोजन कर लो तब बहन ने कहा की भैया अभी चाँद नही निकला है इसलिए मै अभी भोजन नही कर सकती.
जब चाँद निकलेगा तो अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी, बहन की बात सुनकर भाइयो ने कहा की चाँद तो निकल आया है अर्घ्य देकर भोजन कर लो, बहन ने यह बात सुनकर अपनी भाभियों से कह दिया की चाँद निकल गया है अर्घ्य देकर भोजन कर लो.
भाभियों ने यह बात सुनकर अपनी ननंद से कहा की अभी चाँद नही निकला है, यह तो आपके भाई आपसे धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखाकर आपको चाँद बता रहे है, परन्तु यह चाँद नही है यह बात सुनकर उनकी बहन से उन सुनी कर दी और अग्नि के प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण कर लिया.
इस प्रकार चौथ का व्रत भंग करने पर चौथ माता और गणेश जी उस पर अप्रश्न्न हो गये, इसके बाद उसका पति बीमार हो गया था और कुछ समय बाद उसका पति मृत्यु को प्राप्त हो गया फिर उसे मन ही मन बहुत पश्चताव हुआ. जब उसके पति के पार्थिव शरीर को जलाने ले गये तब उसने शरीर को जलाने नही दिया, और अपनी पति की लाश को लेकर शमशान घाट पर ही बैठी रही.
उसकी ननंद उसे शमशान घाट में ही रोज सुबह शाम खाना देकर चली जाती थी. कुछ दिनों बाद माघ की चौथ का व्रत आया और उसने वह व्रत पूरे विधि-विधानों के साथ समपन्न किया जिससे चौथ माता उसपर प्रशन्न हुए और उसके सामने प्रकट हुए और कहा की बेटी मांगो क्या माँगना चाहती हो तब उसने बोला की मुझे मेरा सुहाग चाहिए.
इस पर माघ की चौथ माता ने बोला की मै तुम्हारी मदद नही सकती तुम्हारी मदद तो वैशाख की चौथ माता ही कर सकती है जो सभी चौथ में सबसे बड़ी है. तब उसने पूछा की मै वैशाख चौथ माता को कैसे पहचानूंगी. तब चौथ माता ने कहा की वैशाख की चौथ माता अपने बालो को बिखेरे हुए आंधी की तरह आएगी तो तुम समझ जाना की यह वैशाख की चौथ माता है.
कुछ समय बाद वैशाख चौथ का व्रत आया तो उसने वह व्रत पूरे विधि विधानों के साथ सम्पन्न किया. जब वैशाख की चौथ माता बाल बिखेरे हुए आंधी की तरह आई तब वह औरत समझ गयी की यह तो वैशाख की चौथ माता है, माता को देखते ही उस औरत ने माता के पैर पकड़ लिए और अपनी गलती की माफ़ी मांगी और कहा की मुझे मेरा सुहाग चाहिए और यदि आप मेरा सुहाग नही दोगी तो मै भी मर जाउंगी.
यह देखकर वैशाख की चौथ माता को उसपर दया आई और माता ने उसके पति को जीवित कर दिया और माता जाते समय उसकी झोपडी को पैर से मार कर एक महल में बदल दिया और उसके पुत्र प्राप्ति का वरदान दी गयी. वह औरत अपने पति को जीवित देख कर बहुत खुश हुई. फिर रोजाना की तरह उस औरत की भाभी उसे खाना देने आई तब उसे उसकी झोपडी नज़र नही आई वह इधर उधर ढ़ूढने लगी.
कुछ देर बाद उस औरत की नज़र उसकी भाभी पर पड़ गयी और उसने आवाज़ लगाई की हम यहाँ है महल में, यह देख कर भाभी तुरंत उस महल में आई और ननंद ने अपनी भाभी को सारी बात बता दी यह सुनकर उसकी भाभी बहुत खुश हुई.
करवा चौथ व्रत शुभ मुहूर्त
इस बार पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर 2021 को है. करवा चौथ व्रत की शुरुआत 24 अक्टूबर को सुबह जल्दी 03:01 AM पर होगी और 25 अक्टूबर को सुबह जल्दी 05:43 AM पर समाप्त हो जायेगी. चाँद निकलने का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर की रात्रि 08:11 PM पर है. करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम के 06:55 PM से लेकर 08:51 PM तक रहेगा.
Karva Chauth Vrat Pooja Vidhi – करवा चौथ व्रत पूजा विधि
- करवा चौथ के दिन सभी औरतो को प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करके नए वस्त्र धारण करके है और 16 श्रृंगार करना है
- स्नान करने के बाद भगवान सूर्य, तुलसी, और पीपल को पानी चडाना है
- इसके बाद घर के मंदिर की साफ़ सफाई करके पाटा ले और गणेश जी की स्थापना करे और चौथ माता की तस्वीर भी रखे, पास में जल से भरा कलश भी रखे
- अब अनाज से भरा हुआ एक करवा रखे साथ में घी का दीपक जलाए और दिवार पर शिवजी तथा चन्द्रमा व कार्तिकेय का चित्र या फोटो लगाये
- अब गणेश जी की पूजा करे, पूजा में धुप, दीप, पुष्प, चावल, मोली, रोली आदि अर्पित करे
- अब आपको विधि विधानों के साथ चौथ माता, शिवजी, चन्द्रमा, और कार्तिकेय की भी पूजा करे
- अब सभी औरतो को हाथ में चावल या गेहू के दाने लेकर गणेश जी और चौथ माता की कथा सुने, और फिर आरती करे
- कथा सम्पन्न होने के बाद में सभी औरतो को सूर्य भगवान को अर्घ्य देंकर अपने पति की लम्बी उम्र बनाये रखने के लिए मनोकामना करे
- इसके बाद रात्रि में चाँद दिखने पर पूजा के स्थान पर ज्योति जलाये और जलते हुए ऊपले पर प्रसाद चढ़ाये, इसके बाद चन्द्रमा की पूजा करे और छलनी से चन्द्रमा को देखकर अर्घ्य दे
- अब आपको अपने पति के हाथो से पानी पीकर व्रत का पारण करे, और पति व घर के सभी बड़े सदस्यों के पैर छुकर आशीर्वाद ले
- अब आप भोजन ग्रहण कर सकते है
Conclusion
आज हमने इस आर्टिकल में Karva Chauth Vrat Katha, करवा चौथ व्रत पूजा विधि, कथा के बारे में अच्छे से जाने है अगर आपको ऐसा लगता है की हमने इस आर्टिकल में कुछ गलत जानकारी दी है तो हमे कमेंट में जरुर बताये. धन्यवाद!
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