Maha Shivratri Vrat Katha: अगर आप महा शिवरात्रि का व्रत कर रहे है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद है क्यूंकि आज हम इस आर्टिकल में हम महा शिवरात्रि व्रत कथा और महा शिवरात्रि के बारे में जानेगे.
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि या प्रदोष व्रत आता है, और हर साल में 12 शिवरात्रि आती है. इनमे से फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष चतुर्दशी को महा शिवरात्रि का पावन पर्व साल में 1 बार आता है. इस साल महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष चतुर्दशी यानी 1 मार्च 2022 को है.
तो चलिए शुरू करते है और जानते है Maha Shivratri Vrat Katha/ महा शिवरात्रि व्रत कथा.
Maha Shivratri Vrat Katha – महाशिवरात्रि व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार की बात है एक चित्रभानु नाम का शिकारी था, वह जानवरों की हत्या करके अपने परिवार को पालता था. चित्रभानु एक साहूकार का कर्जदार था और समय पर चित्रभानु साहूकार का कर्ज नही चुका पाया तो साहूकार ने चित्रभानु को शिवमठ में बंदी बना लिया और संयोग से उस दिन महा शिवरात्रि थी.
चित्रभानु बंदी रहते हुए उस दिन शिवमठ में शिवजी के समन्धित कथा सुनता रहा. जब शाम हुई तो साहूकार ने उसे बुलाया और कर्ज चुकाने का पूछा तो चित्रभानु ने बोला कल में पूरा कर्ज चुका दूंगा. साहूकार ने उसकी बात मानकर उसे छोड़ दिया. चित्रभानु भूख से परेसान होकर सीधा जंगल की और निकल पड़ा. शाम का समय था और सूर्यास्त हो गया था तब उसे जंगल में एक तालाब दिखा, चित्रभानु तालाब के पास गया और पीने के लिए पानी लिया और तालाब के किनारे एक बेलपत्र के पेड़ पर चढ़ गया और सोच रहा था की कोई न कोई जानवर यहा पानी पीने के लिए जरुर आएगा.
उस बेलपत्र के पेड़ के नीचे एक शिवलिंग थी. शिवलिंग बेलपत्र के पते से ढकी हुई थी इसलिए उसे वह शिवलिंग नही दिख रही थी. चित्रभानु उसी पेड़ पर भूखा प्यासा बैठा रहा और पूरी तरह से थक चुका था. चित्रभानु ने फिर बेलपत्र के पेड़ से सोने का बिस्तर बनाने के लिए कुछ तहनिया तोड़ी तब बेलपत्र के पते शिवलिंग पर गिर गये थे और इस तरह पूरे दिन भूखा प्यासा रहकर उसने अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन कर लिया और शिवलिंग पर बेलपत्र के पते भी चड़ा दिए.
एक रात बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरन तालाब में पानी पीने के लिए आई थी तब शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्योही धनुष खीचने लगा वैसे ही उसके हाथ से कुछ पत्ते और पानी की कुछ बूंद शिवलिंग पर गिर गयी और उसने अनजाने में शिवलिंग की पूजा कर ली थी. तब हिरन बोली, मै गर्भिणी हु मुझे मत मारो में तुरंत ही बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाउंगी तब तुम मुझे मार लेना लकिन अभी मुझे मत मारो ऐसा बोलते ही हिरन वहा से चली गयी.
कुछ समय के बाद दूसरी हिरन जंगल की झाड़ियो से वापस आई तब शिकारी उसे देख कर प्रसन्न हो गया और उसने धनुष खिची तो और बेलपत्र के पते शिवलिंग पर गिरे जिससे उसने अनजाने में फिर से शिवजी की पूजा कर ली. तब हिरन ने शिकारी से निवेदन किया की मै अपने प्रिय की खोज में यहाँ भटक रही हु मुझे अपनी पति से मिलने दो उसके बाद में तुम्हारे पास आ जाउंगी तब मुझे मार लेना, ऐसा सुनकर शिकारी ने हिरन को जाने दिया.
चित्रभानु दो बार हिरन को छोड़ कर चिंता में पड़ गया, तभी वहा से एक और हिरन अपने बच्चो के साथ जा रही थी तो फिर शिकारी ने धनुष तान लिया. तब हिरन बोली में मेरे बच्चो को इनके पिता के पास छोड़ के आ रही हु तब मुझे मार लेना.
इस बात पर शिकारी हँसा और बोला की में मुर्ख नही हु की में तुम्हे अब तीसरी बार जाने दूंगा मेरे बच्चे घर पर भूखे प्यासे बैठे है, तब हिरन बोली जैसे तुम्हे तुम्हारे बच्चो की ममता सता रही है वैसे ही मुझे इनकी ममता सता रही है इसलिए मुझे इन बाचो के नाम पर थोड़ी देर और जीवन दान दे दो मै इनको इनके पिता के पास छोड़ कर वापस आ जाउंगी, ऐसा सुनकर शिकारी ने उसे फिर से छोड़ दिया.
पूरी रात हो गयी थी लकिन अभी तक शिकारी ने कुछ नही खाया था. तभी वहा से एक हिरन आया तब शिकारी ने सोच लिया था की अब में इसे तो मारूंगा ही अब इसे नही छोडूंगा. शिकारी को देख कर हिरन बोला अगर तुमने मेरी तीनो पत्नियों और बच्चो को मार डाला है तो मुझे भी मार दो ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुःख ना सहना पड़े. मै उन तीनो हिरन का पति हु और यदि तुमने उनको जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ देर के लिए जीवनदान दे दो. मै उनसे मिलकर तुम्हारे पास आ जाऊंगा तब मुझे मार लेना.
उस हिरन की बात सुनकर शिकारी ने उस होरां को सारी बात बता दी, तब हिरन बोला मेरी तीनो पत्निया जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गयी है, वह मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नही कर पाएगी. जैसे तुम्हे उन्हें विश्वासपात्र मान कर उन्हें छोड़ा है वैसे ही मुझे जाने दो. मै कुछ देर में उन सबके साथ वापस तुम्हारे पास आ जाऊंगा तब हम सभी को मार लेना. शिकारी ने ऐसा सुन कर उसे जाने दिया.
शिकारी ने अनजाने में पूरे दिन व्रत करके और पूरी रात उपवास और जागरण करके उसका ह्रदय निर्मल हो गया था. उस चित्रभानु शिकारी के मन में भगवत शक्ति का वास हो गया था और उसके हाथ से वह धनुष गिर गया था. थोड़ी देर बाद सपरिवार हिरन उसके समक्ष आकर खड़े हो गये, ताकि वह उनका शिकार कर सके, किन्तु उन सपरिवार हिरन को देख कर उस शिकारी के मन में प्रेमभावना उत्पन हो गयी और और आँखों से आंसू आने लग गये. शिकारी अपने ह्रदय से जीव हिंसा से हटा कर सदा के लिए दयालु बन गया और उन सपरिवार हिरन को जाने दिया.
उस शिकारी को देवलोक के समस्त देव उसे देख रहे थे. शिकारी के ऐसा करने से भगवान् शंकर ने प्रसन्न होकर उसे अपने दिव्य स्वरुप का दर्शन करवाया और उस चित्रभानु को सुख समृधि का वरदान देकर गुह नाम प्रदान किया.
महा शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
1 मार्च 2022 महा शिवरात्रि के दिन सुबह 11:47 AM से दोपहर 12:34 PM तक अभिजीत मुहूर्त है और दोपहर 02:07 PM से लेकर दोपहर 02:53 PM तक विजय मुहूर्त है.
Conclusion
आज हमने इस आर्टिकल में Maha Shivratri Vrat Katha और महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त के बारे में जाना है. अगर आपके घर में कोई शिवरात्रि का व्रत रख रहे है तो उनके साथ यह आर्टिकल जरुर शेयर करे जिससे वह भी इस महा शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करे. धन्यवाद!
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