Mohini Ekadashi Vrat Katha | मोहिनी एकादशी कथा 2022

Mohini Ekadashi Vrat Katha | मोहिनी एकादशी कथा: यदि इस एकादशी का व्रत कर रहे है तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद है क्यूंकि आज इस आर्टिकल में हम Mohini Ekadashi Vrat Katha, एकादशी शुभ मुहूर्त आदि के बारे में जानेंगे.

वैशाख मास के शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है, यह एकादशी 12 मई 2022 को है. जो व्यक्ति इस एकादशी का पालन करता है वह व्यक्ति समस्त पापो से मुक्त हो जाता है, इस मोहिनी एकादशी का महात्म्य सुनने या पढने मात्र से ही पापो से मुक्ति मिलती है.

Mohini Ekadashi Vrat Katha – मोहिनी एकादशी कथा

एक बार महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्री कृष्ण से इस मोहिनी एकादशी का महात्म्य के बारे में पूच्छा तब भगवान् श्री कृष्ण बोले, हे युधिष्ठिर इस एकादशी की महिमा एक बार वशिष्ठ मुनि ने भगवान् श्री राम जी को बताई थी.

एक बार भगवान् श्री राम ने वशिष्ठ मुनि से समस्त पापो का नाश करने के विषय में पूछा तब वशिष्ठ मुनि ने कहा हे प्रभु आपके नाम स्मरण मात्र से सब का उधार हो जाता है फिर भी में आपको इस प्रश्न का उतर बताता हु फिर वशिष्ट मुनि श्री राम जी को मोहिनी एकादशी के कथा सुनाते है.

वैशाख मास के शुक्लपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम मोहिनी एकादशी है और इसका महात्म्य है एक समय की बात है सरस्वती नदी के तट पर एक बहुत सुन्दर भद्रावती नाम का राज्य था इस राज्य के राजा बहुत ही बुद्धिमान थी राजा का नाम धृतिमान था और इसी राज्य में धनपाल नाम का एक व्यापारी रहता था जो भगवान् विष्णु का बड़ा भक्त था. व्यापारी के पास धन की कमी नही थी इस व्यापारी का सबसे बड़ा गुण उदारता था क्यूंकि धनपाल अपने धन से हमेशा राज्य और जरुरतमंदो की सहायता करता था.

धनपाल के पांच पुत्र थे सुमन, मेघावी, सुकृत, धृष्टबुद्धि, और धुतिमान लकिन इनमे से सबसे छोटा पुत्र धृष्टबुद्धि था और यह बहुत पापी था उसने अपने पीता का कमाया हुआ सारा धन बर्बाद कर दिया. धनपाल अपने पुत्र धृष्टबुद्धि से बहुत ज्यादा परेसान हो कर अपने घर से निकाल दिया. धृष्टबुद्धि भूखा प्यासा होकर जंगलो में भटकता रहा फिर एक बार भटकते भटकते धृष्टबुद्धि कौण्डिन्य के आश्रम पहुच गया वह पर कौण्डिन्य को हाथ जोड़कर कहने लगा हे मुनिवर में बहुत दुःख दर्द सहन कर रहा हु में आपसे विनती करता हु की कृपा करके मुझे कोई ऐसा व्रत बताये जिससे मुझे इन सारे पापो से मुक्ति मिल जाए.

तब कौण्डिन्य ऋषि ने कहा वैशाख मास की शुक्लपक्ष की तिथि को मोहिनी नाम की एकादशी आएगी उस पालन करो, इस एकादशी का पालन करने से इस जन्म के बड़े से बड़े पाप और पिछले कई जन्मो के पाप भी नष्ट हो जाते है. फिर धृष्टबुद्धि ने कौण्डिन्य मुनि के बात मान कर मोहिनी एकादशी का पालन किया और पूरी श्रद्धा से मोहिनी एकादशी व्रत का पालन करने से धृष्टबुद्धि निष्पाप हुआ और फिर जीवन के अंत में उसे श्री विष्णु का धाम प्राप्त हुआ.

अब श्री कृष्ण महाराज युधिष्ठिर से कहते है की कोई भी व्यक्ति किसी भी तीर्थस्थान पर क्यों ना चला जाए, कोई भी तपस्या क्यों ना कर ले, यज्ञ और कितना ही बड़ा दान क्यों ना कर दे इस एकदशी के पालन करने का वो आधा हिस्सा भी नही हो सकता. मोहिनी एकादशी का यह व्रत बहुत उत्तम है इस एकादशी के महात्म्य के श्रवण और पठन से गौ दान का फल मिलता है.

सभी प्रकार के पापो का नाश करने वाली यह मोहिनी एकादशी के व्रत का पालन करने से व्यक्ति सभी प्रकार के मोहजाल से भी मुक्त हो जाता है और इस एकादशी का फल प्राप्त करने की इच्छा से नही बल्कि भगवत्भक्ति प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन करे और इस दिन जायदा से जायदा हरे कृष्ण महा मंत्र का जाप करे जिससे आपके इस जन्म व् पिछले जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाए और अंत समय में आपको भी भगवत्धाम मिले.

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

मोहिनी एकादशी की शुरुआत 11 मई शाम 7:31 पर होगी और समापन 12 मई शाम 6:51 पर होगी
मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई को रखा जाएगा और व्रत पारण करने का समय 13 मई सुबह 5:41 AM से लेकर सुबह 10:09 AM तक है.

मोहिनी एकादशी कब है?

मोहिनी एकादशी 12 मई को है.

धन्यवाद!

यह भी पढ़े:

Team: HindiGrab.in