Annada Ekadashi Vrat Katha | अन्नदा एकादशी कथा 2022

Annada Ekadashi Vrat Katha | अन्नदा एकादशी कथा 2022: क्या आप अन्नदा एकादशी का व्रत रख रहे है? अगर हां तो यह आर्टिकल जरूर पढ़े, क्यूंकि इस आर्टिकल में हम अन्नदा एकादशी व्रत कथा के बारे में सुनेंगे. जो कोई भी एकादशी के दिन एकादशी कथा को सुनता या पढता है उसके जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते है इसमें कोई संशय नहीं है. इस बार अन्नदा एकादशी 23 अगस्त 2022 को है.

आपको तो पता ही है की एकादशी का व्रत कितना जरुरी है जो कोई भगवान् श्री कृष्ण की भक्ति करता है और अंत समय में भगवान् के धाम को जाना चाहता है तो उसे निष्ठां पूर्वक एकादशी व्रत का पालन करना चाहिए और एकादशी के दिन व्रत कथा और जायदा से जायदा हरे कृष्णा महा मंत्र का जप करना चाहिए. ऐसे में अगर आप या आपके घर में कोई एकादशी व्रत रख रहे है तो यह अन्नदा एकादशी कथा उन्हें जरूर सुनाये.

भगवान् भगवत गीता में स्वयं बताते है जो कोई भी मनुष्य आध्यात्मिक उन्नति करना चाहता है उसे तीन कर्म कभी नहीं त्यागना चाहिए वो है यज्ञ, दान तपस्या. इसमें यज्ञ का मतलब है हरे कृष्ण महा मंत्र का जप, दान का मतलब है ब्राह्मणो को दान देना, और तपस्या का मतलब है एकादशी व्रत और अन्य भगवान् कृष्ण के व्रत जैसे जन्मास्टमी व्रत, राधा अष्टमी व्रत और अन्य वैष्णव व्रत का पालन करना चाहिए. आप भी निस्वार्थ भाव से इन सब व्रत का पालन करे आध्यात्मिक उन्नति के लिए ना की भौतिक लाभ के लिए.

भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी का नाम अन्नदा एकादशी है और यह एकादशी सभी प्रकार के पापो से मुक्ति दिलाती है. अन्नदा एकादशी की कथा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है.

Annada Ekadashi Vrat Katha – अन्नदा एकादशी कथा

युधिष्ठिर महाराज श्री कृष्ण जी से कहते है आपने मुझे पवित्रा एकादशी के बारे में तो बता दिए लकिन अब कृपा करके आप मुझे अन्नदा एकादशी के बारे में बताये. तब भगवान् श्री कृष्ण बोलते है राजा हरिश्चंद्र नाम के एक राजा थे जो की बहुत ही सत्यवादी और पुण्यवान राजा थे लकिन इनसे अनजाने में कोई पाप हो गया, इस अनजाने पाप के कारण इन्होने अपना राज्य, पत्नी, और पुत्र गवा दिए थे और एक चाण्डाल के पास सेवक बनके रहना पढ़ा और वे शमसान घाट के रक्षक के रूप में सेवा करते थे और उस शमशान घाट में वह मृत शरीर के वस्त्र इकटे करते थे.

राजा हरिश्चंद्र के जीवन में इतना सब कुछ हो गया लकिन उन्होंने सत्य की राह को कभी नहीं छोड़ा, एक दिन राजा बैठे-बैठे अपने इस दूर दशा से बाहर निकलने के लिए सोच विचार कर रहे थे इतने में सौभाग्यवश उनके सामने गौतम ऋषि आये और राजा उन्हें देख कर राजा के मन में ख़याल आया की यह ऋषि मेरे कल्याण के लिए आये है, तब राजा ने उन्हें अपनी परिस्तिथि बताई तब ऋषि ने आने वाली अन्नदा एकादशी के व्रत पालन करने की राजा को सलाह दी और फिर राजा को आशीर्वाद देकर ऋषि वहा से अंतर्ध्यान हो गए.

कुछ दिनों बाद अन्नदा एकादशी आई तब राजा ने श्रद्धापूर्वक इस अन्नदा एकादशी व्रत का पालन किया और जैसे ही द्वादशी के दिन व्रत पारण किया था तब देखते ही देखते उनके सभी पाप और आपदाएं नष्ट हो गयी, और उन्हें अपना राज्य, पुत्र, पत्नी सब कुछ वापस मिल गए और अंत में राजा, राजा की पत्नी और उनका पुत्र वे सभी भगवद्धाम लौट गए.

अब भगवान् श्री कृष्ण युधिष्ठिर महाराज से कहते है की अनेको वर्षो तक भोगने वाले दुःख कष्ट इस अन्नदा एकादशी के व्रत के प्रभाव से तुरंत नष्ट हो जाते है. और अंत समय में भगवद्धाम प्राप्त होता है, और एकादशी के दिन इस कथा को पढ़ने और सुनने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है.

आप भी आने वाली हर एकादशी व्रत का पालन करे और आध्यत्मिक उन्नति प्राप्त करे.

धन्यवाद! हरे कृष्ण

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Team: HindiGrab.in

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