Apara Ekadashi Vrat Katha | Apara Ekadashi 2022: एकादशी तिथि एक ऐसी तिथि है जिस दिन आप व्रत करके अपने सभी पापो से मुक्ति पा सकते है, और साथ ही पुण्य भी कमा सकते है. एकादशी भगवान् से उत्पन हुई है और जो लोग इस दिन तपस्या यानी व्रत करता है उसके सभी पाप नष्ट होते है और अंत में भगवान् के परम धाम को प्राप्त होता है.
कहते है की एक एकादशी व्रत २० लाख सामान्य व्रत के बराबर है तो इससे आप अंदाज़ा लगा ही सकते है की एकादशी कितनी महत्वपूर्ण है. पौराणिक कथा के अनुसार पाप धीरे धीरे बढ़ रहे थे और हर व्यक्ति पाप की और आकर्षित हो रहा था तब भगवान् ने एकादशी को उत्पन किया और तब जो लोग एकादशी का व्रत करते थे उनके सभी पाप नष्ट हो जाते थे और अंत में भगवान् के परम धाम जाते थे.
इस वजह से पाप पुरुष भगवान् से बोलै हे भगवान् जब से एकादशी उत्पन हुई है तब से कोई भी लोग नरक में नहीं जा रहा है और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे है. तब भगवान् बोले यदि एकादशी का आप पर इतना प्रभाव पड़ रहा है तो आप हर महीने की एकादशी के दिन अन्न में प्रवेश किया करो इससे आपका बचाव होगा.
इसलिए कहते है की एकादशी के दिन अन्न नहीं खाना चाहिए और जो व्यक्ति एकादशी के दिन अन्न खाता है वो अन्न नहीं बल्कि पाप खाता है और अंत में उसे नरक जाना होगा पाप को भोगने के लिए. यदि आप पाप से बचना चाहते तो एकादशी का व्रत जरूर करे जिससे आपके सभी पुराने पाप नष्ट हो जाएंगे.
आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से अपरा एकादशी की कथा सुनेंगे और साथ में शुभ मुहूर्त के बारे में भी जानेंगे.
Apara Ekadashi Vrat Katha – अपरा एकादशी कथा
युदिष्ठिर महाराज ने भगवान् श्री कृष्ण से पूछे की हे भगवान् ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का नाम व् माहात्म्य क्या है आप मुझ पर कृपा करके कहिये.
भगवान् श्री कृष्ण बोले हे राजन ज्येष्ठ मास की कृष्णपक्ष में आने वाली एकादशी दो नाम से जानी जाती है जिसका नाम अपरा तथा अचला एकादशी है. अतएव जो व्यक्ति इस अपरा एकादशी का पालन करता है उसे यह एकादशी अपार धन देती है और इस एकादशी के प्रभाव से भूत योनि, ब्रह्म हत्या, बड़ी से बड़ी निंदा आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते है.
पौराणिक कथा के अनुसार महीध्वज नाम का राजा था उस राजा का छोटा भाई क्रूर, पापी, तथा अधर्मी था और अपने बड़े भाई महीध्वज से द्वेष करता था. एक दिन महीध्वज का छोटे भाई ने रात्रि में महीध्वज की हत्या करके राजा के शरीर को जंगल में पीपल के पेड़ के नीच गाड़ दिया और अकाल मृत्यु के कारण महीध्वज प्रेत आत्मा बन गया था और उसी पीपल पर रहने लगा.
एक दिन धौम्य नाम के ऋषि उस जंगल के पीपल के पेड़ के नीचे से गुज़रे तब धौम्य ऋषि ने उस प्रेत को देखा और उसके प्रेत आत्मा के अतीत को जान गए फिर ऋषि ने उस प्रेत आत्मा को पेड़ से नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश दिया और फिर ऋषि ने उस महीध्वज राजा को प्रेत आत्मा की योनि से छुड़ाने के लिए ऋषि स्वयं अपरा एकादशी व्रत का पालन किया और उस व्रत के सभी पुण्य राजा महीध्वज को अर्पित कर दिया जिससे वह राजा प्रेत योनि से मुक्त हो गया और भगवान् के धाम चला गया.
इससे यह पता चलता है की संत और ऋषि कितने दयालु होते है और अपरा एकादशी कितनी प्रभावशाली है. तो मै आप से यही निवेदन करता हु की आप भी अपरा एकादशी का पालन जरूर करे जिससे अंत समय में भगवान् का धाम प्राप्त होगा. इस एकादशी के दिन व्रत रखकर हमे ज्यादा से जायदा हरे कृष्ण महा मंत्र (हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे) का जाप करना चाहिए.
कहते है की एकादशी के दिन एकादशी का माहात्म्य सुनने से भी पूण प्राप्त होता है तो आप भी अपरा एकादशी के दिन यह अपरा एकादशी व्रत कथा जरूर सुने और सुनावे जिससे आपको और सुनने वाले को भी पुण्य प्राप्त होगा.
अपरा एकादशी शुभ मुहूर्त
अपरा एकादशी 25 मई सुबह 10:32 AM पर शुरू होगी और 26 मई सुबह 10:54 AM पर एकादशी तिथि समाप्त होगी. यह एकादशी का व्रत गुरूवार 26 मई को रखा जाएगा और व्रत पारण अगले दिन शुक्रवार 27 मई को सुबह 05:35 AM से लेकर 10:08 AM के बीच में होगा. व्रत पारण करने का समय अलग अलग जगह का अलग अलग समय होता है, यह समय जयपुर राजस्थान का है. आप अपने व्रत पारण समय को जानने के लिए अपने करीबी ISKCON Temple से पता कर सकते है.
अपरा एकादशी कब है?
अपरा एकादशी का व्रत गुरूवार 26 मई 2022 को रखा जाएगा.
ज्येष्ठ मास की कृष्णपक्ष एकदशी का क्या नाम है?
ज्येष्ठ मास की कृष्णपक्ष एकदशी का नाम अपरा एकादशी है.
धन्यवाद!
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Team: HindiGrab.in