Shri Suktam Hindi | श्री सूक्त पाठ हिंदी: काम, क्रोध, लुभ आदि से बचने तथा माँ लक्ष्मी की कृपा व् सुखी, धनवान आदि रहने के लिए श्री सूक्त पाठ जरुर करे. Shri Suktam पाठ आपको हर कार्यो में सफलता दिलाएगा.
Shri Suktam – श्री सूक्त पाठ
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह॥ (१) ॐ तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम॥ (२) ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद्प्रमोदिनिम। श्रियं देविमुप हव्ये श्रीर्मा देवी जुषताम ॥ (३) ॐ कां सोस्मितां हिरण्य्प्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मेस्थितां पदमवर्णां तामिहोप हवये श्रियम्॥ (४) ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्ती श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्। तां पद्मिनीमी शरणं प्रपधे अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे॥ (५) ॐ आदित्यवर्णे तप्सोअधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्वः। तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याष्च बाह्य अलक्ष्मीः॥ (६) उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह। प्रदुर्भूतोsस्मि राष्ट्रेsस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में ॥ (७) क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठमलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अभूतिमसमृद्धि च सर्वां निर्णुद में गृहात्॥ (८) गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यापुष्टां करीषिणीम्। ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप हवये श्रियम्। (९) मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशुनां रूपमन्नस्य मयि श्रियं श्रयतां यशः॥ (१० ) कर्दमेन प्रजा भूता मयि संभव कर्दम। श्रियम वास्य मे कुले मातरं पद्ममालिनीम्॥ (११) आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस् मे गृहे। नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥ (१२) आद्रॉ पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पदमालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (१३) आद्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आ वह॥ (१४) तां म आवह जातवेदो लक्ष्मी मनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योsश्रान विन्देयं पुरुषानहम्॥ (१५) यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्॥ (१६)
Shri Suktam Hindi – श्री सूक्त पाठ हिंदी में
हे जातवेद अग्निदेव आप मुझे सुवर्ण के समान पीतवर्ण वाली तथा किंचित हरितवर्ण वाली तथा हरिणी रूपधारिणी स्वर्ण मिश्रित रजत की माला धारण करने वाली, चाँदी के समान श्वेत पुष्पों की माला धारण करने वाली, चंद्रमा की तरह प्रकाशमान तथा चंद्रमा की तरह संसार को प्रसन्न करने वाली अथवा चंचला के सामान रूपवाली ये हिरण्मय ही जिसका शरीर है ऐसे गुणों से युक्त लक्ष्मी जी को मेरे लिए बुलाइये. (१)
हे जातवेद अग्निदेव आप मेरे लिए उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मी जी को बुलाओ जिनके आवाहन करने पर मै समस्त ऐश्वर्य जैसे स्वर्ण, गौ, अश्व और पुत्र पौत्रादि को प्राप्त करूँ. (२)
जिस देवी के आगे और मध्य में रथ है अथवा जिसके सम्मुख घोड़े रथ से जुते हुए हैं ,ऐसे रथ में बैठी हुई, हथियो की निनाद सम्पूर्ण संसार को प्रफुल्लित करने वाली देदीप्यमान एवं समस्त जनों को आश्रय देने वाली माँ लक्ष्मी को मैं अपने सम्मुख बुलाता हूँ. ऐसी सबकी आश्रयदाता माता लक्ष्मी मेरे घर में सदैव निवास करे. (३)
जिस देवी का स्वरूप, वाणी और मन का विषय न होने के कारण अवर्णनीय है तथा जिसके अधरों पर सदैव मुस्कान रहती है, जो चारों ओर सुवर्ण से ओत प्रोत है एवं दया से आद्र ह्रदय वाली देदीप्यमान हैं. स्वयं पूर्णकाम होने के कारण भक्तो के नाना प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करने वाली, कमल के ऊपर विराजमान, कमल के सद्रश गृह मैं निवास करने वाली संसार प्रसिद्ध धन दात्री माँ लक्ष्मी को मैं अपने पास बुलाता हूँ. (४)
चंद्रमा के समान प्रकाश वाली प्रकृट कान्तिवाली, अपनी कीर्ति से देदीप्यमान, स्वर्ग लोक में इन्द्र अउ समस्त देवों से पूजित अत्यंत उदार, दानशीला, कमल के मध्य रहने वाली, सभी की रक्षा करने वाली एवं अश्रयदात्री, जगद्विख्यात उन लक्ष्मी को मैं प्राप्त करता हूँ. अतः मैं आपका आश्रय लेता हूँ.
हे माता आपकी कृपा से मेरी दरिद्रता नष्ट हो. (५)
हे सूर्य के समान कांति वाली देवी आपके तेजोमय प्रकाश से बिना पुष्प के फल देने वाला एक विशेष बिल्ब वृक्ष उत्पन्न हुआ है. उस बिल्व वृक्ष का फल मेरे बाह्य और आभ्यन्तर की दरिद्रता को नष्ट करें. (६)
हे लक्ष्मी! देव सखा कुवेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापती की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हो अर्थात इस संसार में धन और यश दोनों ही मुझे प्राप्त हों। अतः हे लक्ष्मी आप मुझे धन यश और ऐश्वर्य प्रदान करें. (७)
भूख एवं प्यास रूप मल को धारण करने वाली एवं लक्ष्मी की ज्येष्ठ भगिनी अलक्ष्मी का मैं नाश करता हूँ अर्थात दूर करता हूँ. हे लक्ष्मी आप मेरे घर में अनैश्वर्य, वैभवहीनता तथा धन वृद्धि के प्रतिबंधक विघ्नों को दूर करें. (८)
सुगन्धित पुष्प के समर्पण करने से प्राप्त करने योग्य, किसी से भी न दबने योग्य. धन धान्य से सर्वदा पूर्ण कर समृद्धि देने वाली, समस्त प्राणियों की स्वामिनी तथा संसार प्रसिद्ध लक्ष्मी को मैं अपने घर परिवार में सादर आह्वान करता हूँ. (९)
हे लक्ष्मी! मैं आपके प्रभाव से मानसिक इच्छा एवं संकल्प. वाणी की सत्यता, गौ आदि पशुओ के रूप एवं समस्त अन्नों के रूप इन सभी पदार्थो को प्राप्त करूँ. सम्पति और यश मुझमे आश्रय ले अर्थात मैं लक्ष्मीवान एवं कीर्तिमान बनूँ. (१०)
“कर्दम “ नामक ऋषि -पुत्र से लक्ष्मी प्रकृष्ट पुत्र वाली हुई है। हे कर्दम! आप मुझमें अच्छी प्रकार से निवास करो अर्थात कर्दम ऋषि की कृपा होने पर लक्ष्मी को मेरे यहाँ रहना ही होगा. हे कर्दम! केवल यही नहीं अपितु कमल की माला धारण करने वाली संपूर्ण संसार की माता लक्ष्मी को मेरे घर में निवास कराएं. (११)
जिस प्रकार कर्दम की संतति ‘ख्याति ‘से लक्ष्मी अवतरित हुई उसी प्रकार समुद्र मंथन में चौदह रत्नों के साथ लक्ष्मी का भी आविर्भाव हुआ है। इसी लिए कहा गया है कि हे जल के देव वरुण देवता आप मनोहर पदार्थो को उत्पन्न करें. माता लक्ष्मी के आनंद, कर्दम, चिक्लीत और श्रीत ये चार पुत्र हैं. इनमे ‘चिक्लीत‘ से प्रार्थना की गई है कि हे चिक्लीत नामक लक्ष्मी पुत्र! आप मेरे गृह में निवास करो. केवल तुम ही नहीं वरन दिव्यगुण युक्तसबको आश्रय देने वाली अपनी माता लक्ष्मी को भी मेरे घर में निवास कराओ. (१२)
हे अग्निदेव! आप मेरे घर में पुष्करिणी अर्थात दिग्गजों के सूंडग्रा से अभिषिच्यमाना पुष्टि को देने वाली अथवा पीतवर्णवाली ,कमल की माला धारण करने वाली, चन्द्रमा के समान सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करने वाली प्रकाश स्वरुप, शुभ्र कांति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मी देवी को बुलाओ. (१३)
हे अग्निदेव! तुम मेरे घर में भक्तों पर सदा दयद्रर्चित अथवा समस्त भुवन जिसकी याचना करते हैं, दुष्टो को दंड देने वाली अथवा यष्टिवत् अवलंबनीया सुन्दर वर्ण वाली एवं सुवर्ण कि माला वाली सूर्यरूपा अतः प्रकाश स्वरूपा लक्ष्मी को बुलाओ. (१४)
हे अग्निदेव! तुम मेरे यहाँ उन सम्पूर्ण जगत में विख्यात लक्ष्मी को जो मुझे छोड़कर अन्यत्र ना जाएँ बुलाएँ. जिन लक्ष्मी के द्वारा मैं सुवर्ण, उत्तम ऐश्वर्य, गौ, दासी, घोड़े और पुत्र-पौत्रादि को प्राप्त करूँ अर्थात स्थिर लक्ष्मी को प्राप्त करूँ ऐसी लक्ष्मी मेरे घर में निवास करें (१५)
जो मनुष्य सुख-समृद्धि अतुल लक्ष्मी कि कामना करता हो ,वह पवित्र और सावधान होकर प्रतिदिन अग्नि में गौघृत का हवन और साथ ही श्री सूक्त कि पंद्रह ऋचाओं का प्रतिदिन पाठ करें. इससे उस पर माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है. (१६)
धन्यवाद!
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Team: HindiGrab.in